आयतुल कुर्सी | Ayatul Kursi

1. अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू
2. अल हय्युल क़य्यूम
3. ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम
4. लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़
5. मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह
6. यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम
7. वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ
8. वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
9. वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा
10. वहुवल अलिय्युल अज़ीम

तर्जुमा

1. अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं
2. वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है
3. न उसको ऊंघ आती है न नींद
4. जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है
5. कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके
6. वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है
7. बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे
8. उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है
9. ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं
10. वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है

आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत

आयतुल कुर्सी कुरान की सब से अज़ीम तरीन आयत है हदीस में रसूल स.अ. ने इसको तमाम आयात से अफजल फ़रमाया है | हज़रत अबू हुरैरा र.अ. फरमाते हैं कि रसूल स.अ. ने फ़रमाया : सूरह बकरा में एक आयत है जो तमाम कुरान की आयातों की सरदार है जिस घर में पढ़ी जाये शैतान वहां से निकल जाता है |

आयतुल कुर्सी की ख़ासियत

इस सूरत में अल्लाह की तौहीद ( अल्लाह को एक मानना ) को साफ़ तौर पर बताया गया है और शिर्क को रद किया है |