6.सूरह नस्र

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
1. इजा जा अ नसरुल लाहि वल फतह
2. वर अयतन नास यद् खुलूना फ़ी दीनिल लाहि अफ्वाजा
3. फसब्बिह बिहम्दी रब्बिका वास्तग फिरहु
4. इन्नहु कान तव्वाबा

सूरह नस्र तर्जुमे के साथ

शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।
1.जब अल्लाह की मदद और फतह आ पहुंची
2.और आप ने देख लिया कि लोग अल्लाह के दीन में फ़ौज दर फ़ौज दाखिल हो रहे हैं
3.तो अपने परवरदिगार की तारीफ़ और पाकी बयान कीजिये और उसी से मगफिरत की दुआ फरमाइए
4.बेशक अल्लाह खूब तौबा कुबूल करने वाले हैं